कश्मीर का संस्कृत साहित्य को योगदान -डॉ. वेदकुमारी घई - Kashmir ka Sanskrit Sahitya ko Yogdan -Dr. Vedkumari Ghai

 कश्मीर का संस्कृत साहित्य को योगदान -डॉ.  वेदकुमारी घई - Kashmir ka Sanskrit Sahitya ko Yogdan -Dr. Vedkumari Ghai



वैदिक संस्कृति एवं संस्कृत साहित्य 
Vedic Sanskriti Evam Sanskrit Sahitya


कश्मीर का संस्कृत साहित्य को योगदान -डॉ.  वेदकुमारी घई - Kashmir ka Sanskrit Sahitya ko Yogdan -Dr. Vedkumari Ghai,कश्मीर का संस्कृत साहित्य को योगदान, संस्कृत साहित्य के विकास में कश्मीर का योगदान,sanskrit sahitya ke vikas me kashmir ka yogdan,

पुस्तक का नाम - कश्मीर का संस्कृत साहित्य को योगदान / Kashmir ka Sanskrit Sahitya ko Yogdan
लेखक - डॉ. वेदकुमारी घई
विषय - संस्कृत साहित्य का इतिहास, इतिहास

पुस्तक के बारे में - 

        कश्मीर की धरती प्राचीनकाल से संस्कृतभाषा और संस्कृतसाहित्य की प्रमुख क्रीडास्थली रही है । काव्य , काव्यशास्त्र , दर्शन , व्याकरण , आयुर्वेद , इतिहास आदि अनेक क्षेत्रों में कश्मीर के संस्कृतलेखकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । 

             भल्लट , शिवस्वामी , कल्हण , बिल्हण , शम्भु , मङ्ख , रत्नाकर , जोनराज , श्रीवर आदि कश्मीर के संस्कृतकवियों ने गुण और परिणाम इन दोनों दृष्टियों से संस्कृत साहित्य को समृद्ध किया है । अलङ्कार , रीति , रस , ध्वनि , वक्रोक्ति और औचित्य इन सभी काव्यशास्त्रीय सम्प्रदायों का जन्म और पल्लवन कश्मीर की इसी उर्वरा धरित्री पर हुआ है ।

                  व्याकरण और दर्शन के क्षेत्रों में भी कश्मीर की अपनी पहचान है । चान्द्रव्याकरण तथा कातन्त्रव्याकरण के ग्रन्थ कश्मीर में रचे गए । पाणिनि कृत अष्टाध्यायी की सुप्रसिद्ध टीका काशिका तथा पतञ्जलिकृत महाभाष्य पर टीका ग्रन्थ इस भूमि में लिखे गए । कश्मीर शैवदर्शन जिसे प्रत्यभिज्ञादर्शन तथा त्रिकदर्शन भी कहा जाता है , शैवदर्शन का एक महत्त्वपूर्ण विकसित रूप है । 

                 आयुर्वेद के आचार्य चरक भी कश्मीर के निवासी थे । कश्मीर में रचित यह संस्कृत साहित्य सम्पूर्ण भारत की बहुमूल्य सम्पदा है जिसका अध्ययन अध्यापन देश के कोने कोने में होता है ।

                   ध्वन्यालोक , नाट्यशास्त्र की अभिनवभारती और काव्यप्रकाश के बिना भारतीय काव्यशास्त्र के अध्ययन की कल्पना ही नहीं की जा सकती । काशिका के बिना अष्टाध्यायी का पठनपाठन सम्भव ही नहीं है । ऐतिहासिक काव्यों की चर्चा में राजतरङ्गिणियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है जो इस प्रदेश का क्रमबद्ध इतिहास प्रस्तुत करती हैं ।

उपरोक्त सभी के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप पुस्तक को ऑनलाइन भी पढ़ सकते हैं और डाऊनलोड भी कर सकते हैं।

        प्रस्तुत पुस्तक की लेखिका डॉ. वेदकुमारी घई हैं। इन्होंने संस्कृत साहित्य में कश्मीर का कितना योगदान है इस विषय पर बहुत ही विस्तार पूर्वक इस ग्रन्थ में प्रकाश डाला है। पुस्तक के अन्दर आप निम्न विषयों के बारे में पढ़ सकते हैं। जैसे -

पुराणसाहित्य,नाट्यसाहित्य, महाकाव्य, मंजरीकाव्य, ऐतिहासिक काव्य,लोककथा, मुक्तककाव्य,लघुकाव्य,स्तुतिकाव्य,काव्यशास्त्र आदि.....

वैदिक संस्कृति एवं संस्कृत साहित्य 
Vedic Sanskriti Evam Sanskrit Sahitya

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ